कंप्यूटर हार्डवेयर और कंप्यूटर सॉफ्टवेयर Computer Hardware and Computer Software in Hindi

कम्प्यूटर हार्डवेयर और कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर

कंप्यूटर हार्डवेयर और कंप्यूटर सॉफ्टवेयर

Computer Hardware and Computer Software in Hindi

 

कंप्यूटर का परिचय (Introduction to Computer in Hindi)  में आपने जाना की कम्प्यूटर 2 भागो मे बटा है

  1. हार्डवेयर (Hardware) और
  2. सॉफ्टवेयर (Software).

हार्डवेयर (Hardware) और सॉफ्टवेयर (Software) ये दोनों कंप्यूटर के लिए बहुत जरुरी पार्ट्स है, कंप्यूटर हार्डवेयर (Computer Hardware) और कंप्यूटर सॉफ्टवेयर (Computer Software) एक दूसरे के आधार है। हार्डवेयर (Hardware), कंप्यूटर का वह पार्ट होता है जिसे हम देख सकते है और साथ ही छू सकते है, कंप्यूटर हार्डवेयर (Computer Hardware) में मॉनिटर , सिस्टम यूनिट, माउस, कीबोर्ड आदि आते है। सॉफ्टवेयर, कंप्यूटर का वह पार्ट होता है जिसे हम  छू नहीं सकते पर उसके आइकॉन को स्क्रीन पर देख सकते है। कंप्यूटर सॉफ्टवेयर मे विंडोज़ 8, विंडोज़ 10, माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस, नोटपेड, टैलीप्राइम आदि आते है।

 

कंप्यूटर हार्डवेयर (Computer Hardware) और कंप्यूटर सॉफ्टवेयर (Computer Software) एक दूसरे के आधार क्यों है?

कंप्यूटर (Computer) को हम हमारे काम को आसान करने एवं  मनोरंजन के लिए इस्तेमाल करते है, जैसे की ऑडियो सुनना, वीडियो देखना, लेटर लिखना आदि और उस सभी काम को करने के लिए सॉफ्टवेयर (Software) तैयार किये जाते है, जैसे की अगर हमें वीडियो देखना है तो वो वीडियो हम मॉनिटर  की स्क्रीन पर देख सकते है जो की एक हार्डवेयर (Hardware) है और उस वीडियो के ऑडियो को हम स्पीकर पर सुन सकते है, स्पीकर भी एक हार्डवेयर (Hardware) ही है और उस वीडियो को चलाने के लिए हमें किसी वीडियो प्लेयर सॉफ्टवेयर की जरुरत पडती है, जिसके बिना हम ये वीडियो नहीं चला सकते।

ऐसे ही सारे सॉफ्टवेयर के लिए हार्डवेयर की जरूरत होती है और सभी हार्डवेयर के लिए सॉफ्टवेयर की जरुरत होती है। सॉफ्टवेयर के बिना हार्डवेयर किसी काम का नहीं है और हार्डवेयर के बिना सॉफ्टवेयर किसी काम का नहीं है इसलिए सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर एक दूसरे के आधार है।

अब हम कंप्यूटर सॉफ्टवेयर (Computer Software) और कंप्यूटर हार्डवेयर (Computer Hardware) क्या है! विस्तार से यह समझते है।

 

कंप्यूटर सॉफ्टवेयर (Computer Software) 

जैसे हम इंसानों मे एक दूसरे से  कम्युनिकेशन करने के लिए  भाषा (लैंग्वेज) की जरुरत पडती है वैसे ही हार्डवेयर (Hardware) और सॉफ्टवेयर (Software) को आपस मे कम्युनिकेशन करने के लिए भी  भाषा (लैंग्वेज) की जरुरत होती है जिसे प्रोग्रामिंग लैंग्वेज कहा जाता है। कंप्यूटर सॉफ्टवेयर (Computer Software), प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का एक ग्रुप होता है जो कंप्यूटर सिस्टम के काम को कंट्रोल करता है और साथ ही कंप्यूटर (Computer) के अलग अलग हार्डवेयर (Hardware) के बीच रिलेशन बना के रखता है ताकि किसी भी विशेष काम को पूरा किया जा सके। इसका प्राथमिक उदेश्य डेटा को इनफार्मेशन मे परिवर्तन करना है। सॉफ्टवेयर के निर्देश (Instruction) अनुसार ही हार्डवेयर काम करता है। सॉफ्टवेयर के बिना हार्डवेयर कोई भी काम नहीं कर सकता।

जैसे कंप्यूटर का उपयोग करने वाले को यूजर कहा जाता है, वैसे  ही कंप्यूटर प्रोग्राम लिखने वाले को प्रोग्रामर कहा जाता है।

 

कंप्यूटर सॉफ्टवेयर के प्रकार (Type of Computer software)

कंप्यूटर (Computer) के उपयोग और कार्यों के आधार पर कंप्यूटर सॉफ्टवेयर (Computer Software) अलग अलग प्रकार के होते है, परंतु सामान्य रूप से सॉफ्टवेयर (Software) को 2 श्रेणीयो (केटेगरीज) मे बाटा जाता है।

1) सिस्टम सॉफ्टवेयर (System Software)

2) एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर (Application Software)

[Note – सॉफ्टवेयर (Software) को यहाँ 2 श्रेणी (केटेगरी) मे बाटा गया है जब की कहीं कहीं पर आपको 1 या 2 से ज्यादा केटेगरी मे दिया हो सकता है पर उससे आपको कंफ्यूज होने की जरूरत नहीं है, बस उसके कांसेप्ट को समझना जरुरी है ।

 

1) सिस्टम सॉफ्टवेयर (System Software)

सिस्टम सॉफ्टवेयर को इस प्रकार तैयार किया जाता है की, कंप्यूटर हार्डवेयर (Computer Hardware) और एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर और साथ ही जो प्रोग्राम, कंप्यूटर (Computer) को चलाने के लिए तैयार किये जाते है उसके बीच अच्छे से कम्युनिकेशन करके उसे कंट्रोल कर सके, उसको अच्छे से चला सके, और उसके सभी पार्ट्स की देख भाल कर सके,सामान्य रूप से  सिस्टम सॉफ्टवेयर, कम्प्यूटर के उत्पादन (Manufacturing) के समय ही पहले से इनस्टॉल किया होता है, लेकिन इसके बावजूद अगर हम चाहे तो सिस्टम सॉफ्टवेयर को मार्किट से खरीद कर कोई और सिस्टम सॉफ्टवेयर इनस्टॉल कर सकते है।

कंप्यूटर के साथ हमारा कांटेक्ट और कम्युनिकेशन भी सिस्टम सॉफ्टवेयर की मदद से संभव हो पाता है। हम सीधे से कंप्यूटर के साथ कम्युनिकेशन नहीं कर सकते जिसकी वजह से कंप्यूटर यूजर के लिए सिस्टम सॉफ्टवेयर बनाया जाता है। इसका सीधा सा मतलब ये होता है की कंप्यूटर हमेंशा सिस्टम सॉफ्टवेयर के कंट्रोल मे होता है और कंप्यूटर को अपने कंट्रोल मे रख कर यूजर के द्वारा बताये गए  कामो की सभी जिम्मेदारी अपने ऊपर ले लेता है और सभी प्रोग्राम का सही – सही पालन करता है जिसकी वजह से कंप्यूटर यूजर के लिए कंप्यूटर का उपयोग करना आसान हो जाता है। यूजर और सॉफ्टवेयर के बीच जो कम्युनिकेशन होता है उसे यूजर इंटरफेस (User Interface) कहा जाता है।

 

सिस्टम सॉफ्टवेयर (System Software) को 3 भागो मे बाटा गया है।

1) ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System)

2) डिवाइस ड्राइव (Device Drive)

3) सिस्टम यूटिलिटी (System Utility)

 

1) ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System)

कंप्यूटर को हमारी लैंग्वेज समझ नहीं आती, कम्प्यूटर को मशीनरी लैंग्वेज समझ आती है ऑपरेटिंग सिस्टम, हार्डवेयर, सिस्टम सॉफ्टवेयर और यूजर के बीच समान रूप से संपर्क बनाये रखता है। ऑपरेटिंग सिस्टम हमारे द्वारा दिए गए काम को तथा डेटा को मशीनरी लैंग्वेज मे बदलकर उसके रिजल्ट  को वापस हमारी लैंग्वेज मे बदल कर हमारे मॉनिटर  की स्क्रीन तक पहुँचता है।

ऑपरेटिंग सिस्टम, यूजर के काम को बहुत आसान कर देता है, जैसे कंप्यूटर से कनेक्ट हुए सभी हार्डवेयर (Hardware) को चलना उसे कंट्रोल करके रखना, कंप्यूटर के डेटा मे कौन सी फ़ाइल कहा रखी है। वो देखना और जरुरत पड़ने पर यूजर के लिए उपलब्ध करवाना, एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर को चलाना जैसे और भी बहुत सारे काम करता है । ऑपरेटिंग सिस्टम भी पहले से प्रीइनस्टॉल होता है जिसको हम समय के साथ अपग्रेड कर सकते है, ऑपरेटिंग सिस्टम सॉफ्टवेयर शॉप से या ऑनलाइन खरीद कर हम इनस्टॉल भी कर सकते है।

ऑपरेटिंग सिस्टम एक्साम्प्ल

MS DOS

Windows OS

Linux OS

MAC OS

कंप्यूटर एप्लीकेशन और कंट्रोल के आधार पर ऑपरेटिंग सिस्टम 5 प्रकार के होते है।

    1. सिंगल यूजर सिंगल टास्किंग (Single User Single Tasking)
    2. सिंगल यूजर मल्टी टास्किंग (Single User Multi-Tasking)
    3. मल्टी यूजर मल्टी टास्किंग (Multi User Multi-Tasking)
    4. बैच प्रोसेसिंग (Batch Processing)
    5. रियल टाइम (Real Time)

 

2) डिवाइस ड्राइवर (Device Drive)

यह सॉफ्टवेयर, कंप्यूटर से कनेक्ट सभी हार्डवेयर को चलाने मे विशेष रूप से काम आते  है, जैसे माउस, कीबोर्ड, माइक्रोफोन, प्रिंटर जैसे आदि चीज़े चलाने के लिए काम आते है।

3) सिस्टम यूटिलिटी (System Utility)

यह सॉफ्टवेयर, कंप्यूटर के लिए बहुत जरुरी होते है जो हमारे कंप्यूटर को तथा कंप्यूटर मे रखे सभी डेटा को सही सलामत रखने मे मदद करता है। जो  मेंटेनेंस एंड मैनेजमेंट मे काम आते है। ये सॉफ्टवेयर, कंप्यूटर मे ना हो तो भी चल सकता है पर इसको रखना हमारे लिए जरुरी है ताकि हमारे डेटा और कंप्यूटर सही सलामत रहे।

 

यूटिलिटी सॉफ्टवेयर इस प्रकार है।

1) डिस्क कंप्रेशन (Disk Compression) इस सॉफ्टवेयर से हम डेटा को नॉर्मल साइज से कम साइज (Low size) मे कंप्रेस्ड करके हार्ड डिस्क मे सेव कर सकते है जिससे ज्यादा से ज्यादा डेटा स्टोर कर सके, और साथ ही हम उस कंप्रेस्ड डेटा को गति से ट्रांसफर कर सकते है।

2) बैकअप (Backup) इस सॉफ्टवेयर से डेटा का बैकअप ले सकते है यानि की डेटा की सेम कॉपी जो हमारे ओरिजिनल डेटा को नुकसान होने पर हम बैकअप डेटा को वापस रिस्टोर करके उसको उपयोग मे सकते है।

3) फॉर्मेट (Format) जब कभी भी हम हमारे ऑपरेटिंग सिस्टम को बदलते है तो इनस्टॉल करने से पहले सभी पुराने डेटा को हटाने मे मदद करता है।

4) एंटीवायरस (Antivirus) हमारे कम्प्यूटर मे कुछ ऐसी फ़ाइल आ जाती है जो हमारे कम्प्यूटर और डेटा को नुकसान पंहुचाती है, उस फ़ाइल को वायरस (Virus) कहा जाता है, और उस वायरस से हमारे डेटा को बचाने तथा कम्प्यूटर से वायरस हटाने मे जो सॉफ्टवेयर मदद करता है उसे एंटीवायरस कहा जाता है।

5) डिस्क स्कैनर (Disk Scanner)/ डिस्क क्लीनर (Disk Cleaner) यह सॉफ्टवेयर, कंप्यूटर मे रहने वाली बिन जरूरी सभी फ़ाइल को खोजने मे मदद करता है, जिसे हम अपने कंप्यूटर से हटा सकते है जिससे हमारे कम्प्यूटर मे ज्यादा से ज्यादा स्पेस बने और जरूरी डेटा सेव कर सके।

 

2) एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर (Application Software)

यूजर की जरुरतो को ध्यान मे रखकर यह सॉफ्टवेयर बनाये जाते है, जिससे मुश्किल  से मुश्किल काम भी हम आसानी से कर सकते है, ये सॉफ्टवेयर, ऑनलाइन और ऑफलाइन आसानी से कम दाम मे उपलब्ध हो जाते है।

एक्साम्प्ल – MS Word, MS Excel, MS PowerPoint, Tally Prime, WhatsApp Web, Filmora, Adobe Reader, TeamViewers, Anydesk, आदि

 

2) कंप्यूटर हार्डवेयर (Computer Hardware)

जैसे  कि हमें पता है, जिस चीज को हम देख सकते है, छू सकते है, या हम उसे उठा सकते है ऐसी चीज को हम हार्डवेयर (Hardware) कहते है।

हार्डवेयर को हमने यहाँ 2  श्रेणीयो (केटेगरी) मे बाटा है।

1)  एक्सटर्नल डिवाइस (External Device)

2) इंटरनल डिवाइस (Internal Device)

 

1) एक्सटर्नल डिवाइस (External Device)

जिस डिवाइस को हम आसानी से देख सकते है, छू सकते है और उठा भी सकते है ऐसे हार्डवेयर (Hardware) को एक्सटर्नल  डिवाइस (Internal Device) कहा जाता है।

एक्साम्प्ल – मॉनिटर , कीबोर्ड, माउस, प्रिंटर आदि

 

एक्सटर्नल डिवाइस को भी 2 भाग मे बाटा गया है।

1) इनपुट डिवाइस (Input Device)

2) आउटपुट डिवाइस (Output Device)

 

(1) इनपुट डिवाइस (Input Device)

जिस डिवाइस  से हम कंप्यूटर के साथ कम्युनिकेशन करते है, कंप्यूटर को चलाते है, कंप्यूटर को कंट्रोल करते है, कंप्यूटर को निर्देश देते है, ऐसे डिवाइस  को इनपुट डिवाइस कहा जाता है।

एक्साम्प्ल – कीबोर्ड, माउस आदि

(2) आउटपुट डिवाइस (Output Device)

कंप्यूटर को दिए गए निर्देश को हम जिस डिवाइस  के जरिए परिणाम  प्राप्त करते है उस डिवाइस  को आउटपुट डिवाइस (Output Device) कहा जाता है।

एक्साम्प्ल – मॉनिटर, प्रिंटर आदि

 

2) इंटरनल डिवाइस (Internal Device)

जिस डिवाइस को हम आसानी से डायरेक्ट छू नहीं सकते, ना देख सकते है, उसे इंटरनल डिवाइस कहा जाता है। इंटरनल डिवाइस हमेशा एक्सटर्नल डिवाइस के अंदर होते है जिसे हम एक्सटर्नल डिवाइस को खोले बिना नहीं देख सकते।

एक्साम्प्ल – CPU, मदरबोर्ड, RAM, ROM, साउंड कार्ड, ग्राफ़िक कार्ड, इंटरनल फैन, डिस्क ड्राइव, CD – ROM आदि.

Motherboard

CPU

 

Full-Form

CPU – Central Processing Unit

RAM – Random Access Memory

ROM – Read Only Memory

(CD – ROM) – (Compact Disk – Read Only Memory)

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Author: PR28Smarter

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